Saturday, December 8, 2007

पाऊस

कधी टप टप कधी तुषार
कधी धो धो मुसळधार
कधी सप सप सप वारा
कधी धड धड धड गारा

कधी नदी नाले तुडुंब
कधी सारे चिंब चिंब
कधी रिमझिम सुखद गार
कधी लागे सतत धार

कधी गर्जे घोर गगन
कधी बिजलीचे नर्तन
कधी वादळी गडगडाट
अन् विद्युति कडकडाट

कधी आणी थंडावा
कधी माजवी बंडावा
कधी आणी महापूर
कधी राही दूर दूर

6 comments:

प्रशांत said...

कधी टप टप कधी तुषार
कधी धो धो मुसळधार
कधी सप सप सप वारा
कधी धड धड धड गारा


फारच सुरेख!

अजित वडनेरकर said...

वाह , क्या बात है । भले ही आप हिन्दी क्षेत्र में पली बढ़ी हों, मगर आपकी मराठी कविता ही मुझे ज्यादा सशक्त, संवेदी और रिदमिक लगी। लगता है बरसों का अभ्यास है।
बहुत सुंदर। इसे लगातार देखता रहूंगा। मेरी मराठी बहुत भ्रष्ट है। घर में भी सभी मजाक उड़ाते हैं। सच पूछें तो लिख नहीं पाता। बोल तो लेता हूं। इसीलिए हिन्दी में ही प्रतिक्रिया दे रहा हूं।

Tatyaa.. said...

छान कविता..

तात्या.
misalpav.com

Unknown said...

maja aali pausat bijun

sushama said...

masta paus...aasha,hindi,marathi donhit chaan...

phondekar.kalpesh said...

आशा मावशी तुमची कविता वाचली मी,

सुरेख शब्द रचना आहे कवितेची,

आभारी आहे मी मनापासुन...